आज मैं आपको जानकारी दूंगा दूत महाराज जी के बारे में। अभी कुछ समय पूर्व हमने एक पोस्ट लिखी थी दूत महाराज के विषय पर। दूत महाराज से जुड़े प्रश्नों के उत्तर हमने इस पोस्ट के माध्यम से देने की कोशिश की है जिससे आपकी शंका दूर हो सके और आप बालाजी महाराज के बारे में और जान सकें।
प्रश्न :- दूत महाराज कौन होते हैं या दूत महाराज किसे कहते हैं?
उत्तर :- जो भी भक्त गण संकट से ग्रस्त होते हैं उन्हें श्री बालाजी महाराज अपने चरणों में रख लेते हैं। फिर यही संकट बालाजी महाराज की सेवा करते हैं। कुछ समय के बाद इन्हीं को बालाजी दूत बनाकर आपके ऊपर भेज देते हैं ताकि वो आपकी और आपके पूरे परिवार की रक्षा करें।
प्रश्न :- दूत महाराज क्या कार्य करते हैं?
उत्तर :- दूत महाराज जिसे भी मिलते हैं ये उसके और उसके परिवार की रक्षा करते हैं। परिवार की सुख समृद्धि में वृद्धि करते हैं।
गलत आचरण करने पर ये फौरी तौर पर चेतावनी देते हैं। आपको बालाजी महाराज के नियम याद दिलाते हैं। इस प्रकार दूत महाराज उन्नति के पथ पर आपको अग्रसर करते हैं।
प्रश्न :- दूत महाराज कब तक साथ रहते हैं?
उत्तर :- दूत महाराज जिसे भी मिलते हैं उसे माध्यम कहा जाता है। ये दूत तभी तक माध्यम के साथ रहते हैं और उसकी रक्षा का भार उठाते हैं जब तक माध्यम श्री बालाजी महाराज के नियम और परहेज करते हैं।
जिस दिन से माध्यम बालाजी महाराज की पूजा और नियमों से विमुख हो जाता है ये दूत भूत बन जाते हैं और आपको परेशान करना शुरू कर देते हैं या फिर वे शरीर छोड़कर चले जाते हैं।
जब ये भूत बन जाते हैं तो ये संकट बनकर अहित करना शुरू कर देते हैं। ये इसलिए होता है क्योंकि जब आप बालाजी महाराज का साथ छोड़ देते हैं तो बालाजी महाराज इनपर से अपना हाथ हटा लेते हैं।
इस वज़ह से दूत महाराज का बालाजी महाराज से संपर्क समाप्त हो जाता है और संपर्क टूट हो जाने से यही दूत भूत बन जाते हैं और आपको नुकसान देने लगते हैं।
प्रश्न :- दूत महाराज मिलने पर क्या करें?
उत्तर :- यदि किसी भी भक्त को श्री बालाजी महाराज की कृपा से दूत महाराज मिलते हैं तो बालाजी के नियम और परहेज अच्छे से करना चाहिए। प्याज, लहसुन, अंडा, मांस मदिरा और तामसिक चीजों का उपभोग मत करिए। किसी भी बाबा, तांत्रिक आदि के हाथ का कुछ न खाए या पिए।
दूत महाराज को संभाल कर रखना चाहिए और इनका सदैव सम्मान करना चाहिए।
प्रश्न :- दूत महाराज को कब बुलाना चाहिए?
उत्तर :- दूत महाराज को मंगलवार और शनिवार को दिए जाने वाले भोग जिसे अज्ञारी भी कहा जाता है के समय बुलाया जाता है।
विषम परिस्थितियों और विपत्ति आने की स्थिति में आप इन्हें कभी भी बुला सकते हैं। इनके आने पर इनकी आज्ञा का पालन करें। इनकी बातों को गम्भीरता से लें। बहस न करें और पूरा सम्मान दें।
जिस माध्यम पर दूत आते हैं बुलाते समय मन को शांत रखें। आह्वान के समय मन में किसी भी प्रकार का गुस्सा क्रोध आदि न हो तभी ये अच्छे से कार्य कर पाते हैं।
इनका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। किसी भी तरह का स्वार्थ आदि मन में न लाए। किसी भी कार्य को कराने के लिए इन्हें जोर न दें।
अर्जी प्रति वर्ष लगाते रहिए ताकि आप और दूत बालाजी महाराज से जुड़े रहें। इससे दूत महाराज जी का संपर्क बालाजी महाराज से बना रहता है।
प्रश्न :- दूत महाराज कैसे मिलते हैं?
उत्तर :- दूत महाराज की प्राप्ति श्री बालाजी महाराज की कृपा से ही सम्भव है या फिर बालाजी महाराज की शक्तियां ही दूत प्रदान करने में सक्षम है।
यदि कोई तांत्रिक, ओझा आपसे कहता है कि वो आपको दूत दिला देगा तो ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिए। ऐसे लालच में न पड़े अन्यथा आप धन हानि आदि का शिकार हो सकते हैं।
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