बालाजी के दूत और संकट की पहचान कैसे करें ? – मेहंदीपुर बालाजी

बालाजी के दूत और संकट की पहचान कैसे करें

बालाजी के दूत और संकट की पहचान कैसे करें ? – मेहंदीपुर बालाजी

जय श्री राम भक्तों। मेहंदीपुर बालाजी वेबसाइट में आपका स्वागत है। भक्तों, मेरे पास बहुत से लोगों के फोन कॉल और संदेश आते हैं जिनमे से कई लोग मुझसे यह पूछते हैं कि उन पर या उनके किसी पारिवारिक सदस्य पर जो सवारी आती है वो असल में क्या है? वे लोग हमसे जानना चाहते हैं कि वो बालाजी के दूत महाराज हैं? संकट है? पितृ हैं? या कोई और परेशानी सवारी के रूप में सिर पर चढ़कर आती है। बालाजी के दूत और संकट की पहचान कैसे करें। जिज्ञासा भरे अनेक प्रश्न हमें अक्सर प्राप्त होते रहते हैं। जिनका उत्तर पांच सात लाइनों में देना वो भी फोन पर बड़ा ही मुश्किल हो जाता है हमारे लिए।

दूसरी तरफ, अगर संक्षेप में समझाए तो जानकारी पूरी नहीं हो पाती या फिर पूछने वाला संतुष्ट नहीं हो पाता है। और विश्वास खो बैठता है और इस दरबार से उस दरबार भटकता रहता है। अन्त में अपना समय, और पैसा दोनों बर्बाद।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए संकट वालों और आम जन के हित में इस पोस्ट के माध्यम से हम इन्हीं सवालों के जवाब विस्तृत रूप से जानने का प्रयास करेंगे कि आने वाली सवारी सवारी दूत महाराज हैं या अन्य कोई संकट है इस बात की पहचान कैसे की जाए?

बालाजी के दूत और संकट की पहचान कैसे करें

कम से कम एक आइडिया मिल जाए कि सवारी दूत महाराज है तो फिर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उनका लाभ अपने और परिवार के लाभार्थ कैसे उठाया जाए?

अगर सवारी कोई संकट है, तो फिर , वो जो हमारा नुकसान कर रही है उससे छुटकारा कैसे मिले?

पितृ आहूत आदि है तो ये पता चल जाए तो फिर उनकी मुक्ति का रास्ता खोजा जाए?

सारी बातों का एक ही मतलब है हमें कम से कम ये तो पता चले कि सिर पर आकर आखिर झूम कौन रहा है फिर आगे उसका कोई निवारण किया जा सके।

ज्यादा समय न लेते हुए पोस्ट को आगे बढ़ाते है। हमने बात की थी सवारी की।अब ये सवारी क्या चीज होती है ये भी आपको बता दें। सवारी शब्द का प्रयोग हम लोग आम बोलचाल की भाषा में करते है।आध्यात्म रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। जो चीज सिर पर चढ़कर बोलती है उसे हम सवारी कहते हैं। मेहंदीपुर बालाजी से जुड़ने के बाद सर्वप्रथम जब ऐसा होता है तो उसे वहां “पेशी” कहा जाता है।

पेशी कह लो सवारी कह लो शुरुआत में बात एक ही होती है। जब आने वाली चीज कौन आ रही है ये पता चल जाता है अर्थार्थ अंतर स्पष्ट हो जाता है तो बाद में पेशी और सवारी दोनों में फर्क हो जाता है।

अगर ये पता चल जाए कि कोई लगा हुआ संकट है , क्रिया यानि करा धरा हुआ सिर पर चढ़कर बोल रहा है तो उसे हम बाद में संकट की पेशी कहते हैं।

कोई पितृ दोष है तो पितृ की सवारी और दूत महाराज हैं तो शक्ति की सवारी या शक्तियों का आह्वान कहा जाता है। लो हो गया अंतर स्पष्ट। ये तो बस शब्दों को सही तरीके से प्रयोग करने की बात थी।

अब आते हैं असल मुद्दे पर। जब आप अपने आस पास लगने वाले बालाजी दरबार में जाते हैं और अपनी अर्जी लगाने के बाद वहां के महंत जी से मिलते हैं तो वो आपसे पूछते हैं कि क्या आपको अक्सर पेट में दर्द, कंधो में दर्द, सिर में दर्द आदि की शिकायत रहती है। अगर पेशी आती है तो पेशी में सबको ले जाऊंगा, नहीं छोडूंगा, बर्बाद कर दूंगा आदि कहना। पेशी के बाद शरीर भयंकर रूप से टूटने की अनुभूति होती होगी, घर में लड़ाई झगडे , क्लेश , व्यापार में घाटा, बरक्कत न होना, रिश्तों में सामान्य से अधिक अनबन, बीमारी होने पर सारी टेस्ट रिपोर्ट नॉर्मल आना, दवाई का न लगना।

ये सभी लक्षण जो आम तौर पर बताए जाते हैं अगर किसी नास्तिक से कहें तो वह यही कहेगा कि ये तो सामान्य सी बातें हैं जो प्रायः हर घर में होती रहती हैं। ढोंगी बाबा आदि भी इन्हीं बातों को घुमा फिरा कर लोगों को अपने झांसे में ले लेते हैं।

खैर, आस्तिक नास्तिक पर हम फिर कभी चर्चा कर लेंगे। अपने विषय पर आते हैं। ऊपर जो लक्षण हमने बताए हैं ये सारे के सारे लक्षण संकट/संकट की पेशी के हैं। जरूरी नहीं कि किसी के साथ ये सारे लक्षण हों। एक दो भी हो सकते हैं। ऐसा आपको बताया जाएगा तो आपको लगेगा कि आप भी किसी न किसी संकट से ग्रस्त होंगे।

दूसरी तरफ, आपको बतलाया जायेगा कि भाई अगर हनुमान जी की कोई शक्ति, दूत आदि की सवारी है तो पूजा पाठ में आपका बहुत मन लगता होगा, ध्यान एकाक्ग्र होगा, सब कुछ अच्छा होगा, बरक्कत होगी । आखिर ये सब सात्विक शक्तियों के लक्षण ही तो है।

ये तो लक्षणों की बात है आपका सवाल इसके आगे का है। आप बाबा के दरबार में गए। आपने बाबा को अर्जी भी लगा दी। आपको पेशी भी आने लगी। पेशी में कौन है ये तो कुछ बोलता ही नहीं है। अगर बोलता भी है तो अपने आपको फलां फलां बताता है, बाबा का सेवक बताता है, दूत बताता है। यही आप जानना चाहते हैं।

असल में अगर आप अपना किसी गुरुजी से इलाज करा रहे हैं तब तो आपका मार्गदर्शन आपके गुरुजी ही कर देंगे और उसका निवारण भी बताएंगे। अगर आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो इसका मतलब आप किसी से नहीं जुड़ें है और अगर जुड़े है तो लाभ नहीं मिल रहा है। तभी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे है कि सवारी किसकी आ रही है।

अगर कोई सवारी में जय बाबा की, जय श्री राम , जय प्रेतराज सरकार या बाबा का गुणगान करे तो जरूरी नहीं है भैया कि आप यह अंदाजा लगा सकें कि मुझ पर बाबा के दूत आ रहे हैं या शक्ति का आह्वान हो रहा है। आखिर जयकारे लगाना या अच्छी अच्छी बाते करने का हक दैवीय दूतों का ही नहीं भूतों का भी होता है। वे भी ऐसा कर सकते हैं।

आपने दूतो का आह्वान जरूर देखा होगा तभी अंदाजा लगाते होंगे कि ठीक ऐसा उनके साथ होता है लोग उनपे दूत बताते है मेरे साथ भी ऐसा होता है तो मुझ पर भी कोई शक्ति आती होगी।

सवारी राम नाम का जाप भी कर रही है। पूजा पाठ में अच्छे से मन भी लग रहा है। पैसों की भी दिक्कत परेशानी नहीं है। जो बताता है सही बताता है। कहां क्या हो रहा है सब सही बताता है। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है। आप क्या मान लोगे उसे, दूत मान लोगे?

एक और उदाहरण, वास्तव में किसी के ऊपर दूत महाराज या शक्तियों का आह्वान होता है। मगर घर में बीमारी भी है। पैसों की तंगी भी है। अब क्या मानोगे इसे संकट?

गलत। ऐसा अंदाजा बिलकुल भी न लगाए। भूत प्रेत झूठ बोलते हैं। वो आपको वैसा दिखाकर दिग्भ्रमित कर सकते हैं। असल में ऐसी कोई कसौटी ही नही है कि हम जांच सकें कि अमुक सवारी भूत प्रेत की है या दूत महाराज की।

असल में सवारी लेने वाला खुद ही जान जाता है कि उसके ऊपर कौन आ रहा है। व्यक्ति की स्वयं की आत्मा आपको काफी हद तक बता देती है कि जो आ रहा है वो सही चीज है या गलत। सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का आभास आपको खुद ही होने लगता है।

अगर कोई अच्छी सवारी शरीर पर आ रही है तो आपको स्वयं आपकी खुद की आत्मा स्वीकार कर लेगी और उसे शरीर पर आने देगी। लेकिन अगर नकारात्मक ऊर्जा या सवारी है तो आपकी आत्मा विरोध करने का संकेत भी जरूर देगी। आपके होठों पर जो चाहे शब्द हों आपकी आत्मा आपको इतना तो संकेत दे ही देगी कि किसे शरीर पर सहज भाव से बुलाना है किसे नहीं बुलाना।

सकारात्मक शक्ति यदि होती है तो उसे किसी प्रमाण या परिचय का मोहताज नहीं होना पड़ता। सात्विक शक्तियां अपना प्रमाण स्वयं दे देती है आपका मन शांत, निर्मल और आनंदित हो जाएगा। आप स्वयं अनुभव से बता सकेंगे कि मेरे शरीर पर जो भी है वो अच्छी है या बुरी है।

अगर आपको लगता है या तिल मात्र का भी संदेह है कि शायद ये कोई नकारात्मकता है तो आपके जो भी गुरु है आपको उनसे संपर्क साधना चाहिए और अपनी शंका उन्हें बतानी चाहिए। स्वयं से निर्णय न ले कि आप पर कोई दूत वगैरह आ रहे है क्योंकि अगर आप एक प्रतिशत भी आंकने में गलत रह गए तो वो सवारी आपको गलत मार्ग पर ले जाएगी और अहित करती रहेगी। इसलिए जरूरत पड़ने पर गुरु जनों का सहारा अवश्य लें।

भक्तों अब आप जान गए होंगे कि बालाजी के दूत और संकट की पहचान कैसे करें।

जय श्री बाला जी महाराज।

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